Pradosh Vrat 2025: सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है और इस दौरान रखे जाने वाले व्रतों का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है प्रदोष व्रत, जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। सावन मास में प्रदोष व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्व होता है।
प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
सावन माह 2025 में प्रदोष व्रत 22 जुलाई, मंगलवार को पड़ेगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से ऋणमोचन के लिए किया जाता है।
: त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 22 जुलाई को सुबह 7:06 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 23 जुलाई को रात 2:29 बजे तक
प्रदोष काल में अर्थात सूर्यास्त के 1.5 घंटे बाद शिव पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख, शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। शिवपुराण के अनुसार चंद्रदेव ने क्षय रोग से मुक्ति के लिए इस व्रत को किया था और शिवजी ने उन्हें नया जीवन प्रदान किया। इस व्रत से कर्ज मुक्ति, रोग नाश, और शत्रु विनाश भी होता है। व्रती को शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
व्रत रखने वाले को दिनभर उपवास रखना चाहिए।
संध्या के समय स्नान करके स्वच्छ सफेद वस्त्र पहनें।
पूजा के लिए मिट्टी या धातु का शिवलिंग बनाएं।
पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा स्थल पर दीप जलाएं।
भगवान गणेश की पूजा के बाद शिवजी का अभिषेक करें — जल, दूध, दही, शहद और घी से।
बेलपत्र, धतूरा, भस्म, फूल आदि अर्पित करें।
शिवजी को भोग लगाएं और प्रदोष व्रत कथा पढ़ें।
अंत में शिव आरती करें और भगवान से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
