हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाने वाली आंवला नवमी का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे अक्षय नवमी या कूष्मांडा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों को प्रिय है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
आंवला नवमी का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, आंवला वृक्ष में स्वयं भगवान विष्णु का वास माना गया है। इसी कारण इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और आंवले के पेड़ की पूजा कर उसके नीचे दीपक जलाती हैं। माना जाता है कि इस पूजा से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। भक्त आंवले के पेड़ की परिक्रमा करते हैं और भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए माता लक्ष्मी से धन-धान्य की प्रार्थना करते हैं।
तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष आंवला नवमी 2 नवंबर 2025, रविवार के दिन मनाई जाएगी। नवमी तिथि 1 नवंबर की रात 8:30 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर की शाम 6:10 बजे तक रहेगी। पूजा का सबसे शुभ समय प्रातःकाल से दोपहर तक माना गया है। इस दौरान आंवले के पेड़ की पूजा करने, दीपदान और दान करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
आंवला नवमी के दिन किए जाने वाले उपाय
आंवला नवमी के दिन स्नान के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद आंवले के पेड़ को जल अर्पित करें और उसके नीचे दीपक जलाएं। पेड़ की सात बार परिक्रमा करते हुए परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। इस दिन आंवला फल का सेवन भी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य और आयु दोनों को बढ़ाता है। जो लोग धन की कमी या आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, उन्हें इस दिन “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
आस्था, स्वास्थ्य और समृद्धि का संगम
आंवला नवमी केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पर्व है। आंवला वृक्ष को दीर्घायु और स्वास्थ्य का प्रतीक माना गया है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ आंवले की पूजा करने से न सिर्फ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि जीवन में खुशहाली और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।













