Krishna Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi: भगवान श्रीकृष्ण की आराधना में आरती और भजन का विशेष महत्व है। जब भी श्रीकृष्ण की आरती का नाम लिया जाता है, तो सबसे पहले “आरती कुंज बिहारी की” की मधुर पंक्तियाँ स्मरण में आती हैं। यह आरती न केवल भक्तों के हृदय को भावविभोर करती है, बल्कि भगवान को भी अति प्रिय है। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर जब व्रत, उपवास और पूजन की परंपरा निभाई जाती है, तब आरती कुंज बिहारी की का सस्वर गायन भक्तों को विशेष पुण्य और मानसिक शांति प्रदान करता है। इस दिन विशेष रूप से श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को सजाया जाता है और रात्रि में बारह बजे उनके जन्मोत्सव के साथ आरती की जाती है।आइए करते हैं कृष्ण जन्माष्टमी की आरती…
आरती कुंज बिहारी की (Krishan Ji Ki Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
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श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
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गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
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कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
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जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
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चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद।।
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥













