Pradosh Vrat 2025: हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस मई महीने में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 9 मई को रखा जाएगा। इस दिन को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। खास बात यह है कि इस बार का प्रदोष व्रत शुक्र प्रदोष के रूप में आ रहा है और इसके साथ ‘शिववास योग’ का विशेष संयोग बन रहा है, जो व्रत को और भी फलदायी बना रहा है।
प्रदोष व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। इस दिन व्रत करने और पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से शिव-पार्वती की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
शिववास योग में मिलेगा विशेष लाभ
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस दिन महादेव दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे, इसके पश्चात वे अपने वाहन नंदी बैल पर सवार होकर लोक कल्याण के लिए भ्रमण करेंगे। मान्यता है कि इस शुभ समय में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और अधूरे कार्य भी पूर्ण व सिद्ध हो जाते हैं।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
इस दिन शाम के समय सूर्यास्त से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। पंचामृत से अभिषेक करें, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, और सफेद फूल चढ़ाएं। दीपक जलाकर धूप-दीप से आरती करें और नीचे दिए गए मंत्रों का जप करें।
इन मंत्रों के जाप से मिलेगी विशेष कृपा
प्रदोष व्रत में निम्न मंत्रों के जाप से भक्तजनों को भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्ति होती है।
1. द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र:
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः॥
2. महामृत्युंजय मंत्र:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
3. रुद्र गायत्री मंत्र:
“ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥”
4. देवी स्तुति मंत्र:
“ॐ सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी, नारायणी नमोस्तुते॥”
शिव जी की आरती | Shiv Ji Ki Aarti
कभी भी आप भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो उसमें भगवान शिव की आरती अवश्य करें। और इसके पश्चात सभी को प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें।
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
त्रिगुणस्वामी जी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वाम, सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…
