Translate Your Language :

Latest Updates
Bhagavad Gita teachings: भगवत गीता का सोलहवां अध्याय, भगवान कृष्ण ने बताए हैं तीन महापाप, जो इंसान की जिंदगी कर देते हैं बर्बाद… Spiritual advice for good luck: कौन-सा व्रत बदल देगा किस्मत? प्रेमानंद महाराज ने बताया Rahu-Ketu Dosh: लगातार बढ़ रहे संकटों की जड़ हो सकते हैं छाया ग्रह, इन उपायों से मिलेगी राहु-केतु के कष्टों से मुक्ति Chanakya Niti: प्रार्थना से नहीं मेहनत से मिलेगी सफलता, छात्र हों या बड़े सफल होने के लिए इन चीजों से रहें कोसों दूर Swapna Shastra: किसी को नहीं बताने चाहिए ये 4 सपने, नाराज हो जाती हैं माता लक्ष्मी! Indresh Upadhyay: लाला इंद्रेश ने सबके मन जीते…जब प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे कथावाचक के पिता! Vastu Tips: सुबह घर से निकलते समय हाथ से इन चीजों के गिराने से होती है अनहोनी! Jadu Lagane Ke Niyam : झाड़ू नियमों के बारे में…आर्थिक परेशानियों का कारण बन सकती है झाड़ू, वास्तु अनुसार शाम को संभलकर करें झाड़ू का प्रयोग Sukrawar Ki Aarti: शुक्रवार को पढ़ें माता लक्ष्मी की ये आरती, घर में कभी नहीं होगी धन-धान्य की कमी! Katha Vachak Indresh Upadhyay wedding: कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय आज शिप्रा के साथ लेंगे सात फेरे, जयपुर में बजेगी शहनाई
Home » व्रत एवं त्यौहार » Tulsi Vivah 2025: कब होगा तुलसी विवाह, जानें कार्तिक मास में इसका महत्व और फल

Tulsi Vivah 2025: कब होगा तुलसी विवाह, जानें कार्तिक मास में इसका महत्व और फल

Facebook
X
WhatsApp

Tulsi Vivah 2025: कार्तिक मास हिंदू पंचांग का सबसे पवित्र महीना माना गया है। इस माह में किए गए धार्मिक कार्यों का विशेष फल मिलता है। इसी मास के शुक्ल पक्ष में भगवान श्रीहरि विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इसी अवसर पर तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, जो देव-उठनी एकादशी के बाद होता है।

कब है तुलसी विवाह?

शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी या देवप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है, उसी दिन तुलसी जी का विवाह भगवान शालिग्राम (विष्णु स्वरूप) से किया जाता है। इस वर्ष 2 नवंबर 2025 (रविवार) को देवउठनी एकादशी पड़ रही है, और इसी दिन पूरे देश में श्रद्धालु तुलसी विवाह का पर्व मनाएंगे।

कई लोगों के मन में यह प्रश्न रहता है कि तुलसी विवाह केवल एकादशी के दिन ही किया जा सकता है या पूर्णिमा तक भी किया जा सकता है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि यदि किसी कारणवश एकादशी के दिन विवाह संभव न हो, तो पूर्णिमा तक तुलसी विवाह किया जा सकता है, किंतु एकादशी तिथि को इसका सर्वाधिक शुभ फल प्राप्त होता है।

हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीहरि विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को योगनिद्रा में चले जाते हैं, और चार महीनों तक (चातुर्मास अवधि) विश्राम करते हैं। इस दौरान संसार के कार्यों का संचालन भगवान शिव करते हैं। जब कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी आती है, तो भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है। इसी दिन से विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत करना शुभ माना जाता है।

आंवला नवमी और तुलसी विवाह का संबंध

स्कंद पुराण के अनुसार, कार्तिक शुक्ल नवमी, जिसे आंवला नवमी कहा जाता है, द्वापर युग के आरंभ का दिन माना गया है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। इसके बाद आने वाली एकादशी तिथि को तुलसी विवाह संपन्न करने से कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है।

तुलसी विवाह का पौराणिक प्रसंग

धार्मिक कथा के अनुसार, पूर्वकाल में कनक की पुत्री किशोरी ने एकादशी तिथि की संध्या बेला में तुलसी विवाह का आयोजन किया था। इस पूजा के प्रभाव से वह वैधव्य दोष से मुक्त हो गई। इसी कारण कहा गया है कि जिन कन्याओं का विवाह नहीं हो पा रहा हो, उन्हें भी तुलसी विवाह का आयोजन करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह योग मजबूत होता है और जीवन में मंगल की वृद्धि होती है।

तुलसी विवाह करने का फल

तुलसी विवाह करने से व्यक्ति को जीवन में पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी और शालिग्राम के विवाह में सम्मिलित होने या उसका आयोजन करने से कन्यादान के समान फल मिलता है। साथ ही घर में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और वैवाहिक जीवन की स्थिरता आती है।

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ताजा खबरें